बचपन से ठंड का मौसम बहुत भाता था क्योंकि तब खुद की खुशी ही सब कुछ होती थी लेकिन अब वही ठंड का मौसम आता है तो आंखों में यह सोचकर आंसू आ जाते हैं कि उनका क्या होगा जिनकी छत आसमान है और जमीन बिस्तर...। उनके लिए गर्म मफलर, स्वेटर या जेकेट कौन लाकर देगा जो सर्दी की हर रात को जिंदगी की आखिरी रात बनाने की ख्वाहिश ऊपर वाले से करते हैं।
सर्दी में उस घर का क्या होगा जिसकी दीवार भी चंद ईटों को रखकर बनाई गई है, इसलिए जब भी सर्दियां आती हैं तो भले ही वह बगीचों को फूलों से महका देती हैं या फिर खेतों में खूबसूरत फसलें लहलहा देती हैं। हमें फैंसी स्वेटर खरीदने का मौका दे देती हैं लेकिन ईश्वर के कितने ही वंदों की जिंदगी को बदतर बना देती हैं, जरा उनकी भी सोच लो तो रूह कांप जाती है और मन करता है कहूं
ए खुदा ठंड का यह मौसम किसी सितम से कम नहीं...
क्योंकि क्या पता कल सुबह मेरी हो ना हो...
सर्जना चतुर्वेदी
सर्दी में उस घर का क्या होगा जिसकी दीवार भी चंद ईटों को रखकर बनाई गई है, इसलिए जब भी सर्दियां आती हैं तो भले ही वह बगीचों को फूलों से महका देती हैं या फिर खेतों में खूबसूरत फसलें लहलहा देती हैं। हमें फैंसी स्वेटर खरीदने का मौका दे देती हैं लेकिन ईश्वर के कितने ही वंदों की जिंदगी को बदतर बना देती हैं, जरा उनकी भी सोच लो तो रूह कांप जाती है और मन करता है कहूं
ए खुदा ठंड का यह मौसम किसी सितम से कम नहीं...
क्योंकि क्या पता कल सुबह मेरी हो ना हो...
सर्जना चतुर्वेदी
No comments:
Post a Comment