SARJANA CHATURVEDI

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Friday, 6 June 2014

अनूठा रिश्ता जो है खास





रक्षाबंधन वह पावन पर्व  है जिसका भाई -बहन के रिश्ते से बड़ा गहरा नाता है। देखने में तो यह रिश्ता �ाी हमसे जुड़े दूसरे रिश्तों की ही तरह है, लेकिन इसमें कुछ तो �ाास है जो इसे उनसे जुदा और अलग बनाता है।

रेशम की कच्ची डोर कितना कुछ कहती है यदि उसके �ाावों को समझने का प्रयास किया जाए। इसमें एक भाई के प्रति बहन का स्नेह दि�ाता है तो बहन के प्रति �ााई के मन में भरा प्यार, कर्तव्य और परवाह के रूप में नजर आता है। बचपन में छोटी-छोटी बातों पर होती है तकरार और फिर शाम तक संग हो जाना।
    वाकई इस रिश्ते की महक हमेशा यूं ही बनी रहे तो कितना अच्छा लगता है। कभी-क�ाी तो लगता है वह बचपन वापस लौट आए । वैसे भी हर राखी पर यूं ही हम पुरानी यादों में खो ही जाते हैं, जो क�ाी आ�ाों में नमी तो कभी चेहरे पर मुस्कान बि�ोर जाती है।

-कितना अलग होता है यह रिश्ता
-हर नाते से जुदा रहता है
-नि: स्वार्थ प्रेम इसमें होता है
-बिना तकरार के अधूरा सा लगता है
-क�ाी गुस्सा  क�ाी शरारत तो कभी प्यार
-कभी सारी दुनिया इस रिश्ते में सिमटी लगती है
-कितना अजीब होता है  यह रिश्ता
-यह कहलाता है भाई - बहन का रिश्ता      

                                                      सर्जना चतुर्वेदी
                                                        

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