SARJANA CHATURVEDI

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Thursday, 22 May 2014

आशा और आत्मविश्वास से हासिल किया मुकाम

 
आशा और आत्मविश्वास से हासिल किया मुकाम

मध्य प्रदेश में 12वीं की परीक्षा में दृष्टिहीन सृष्टि तिवारी अव्वल

सपने दे�ाने के लिए आं�ाों में रोशनी हो यह जरूरी नहीं होता बल्कि बुलंद हौसलों की जरूरत होती है।   ताकि उन सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है। इसलिए कहा �ाी गया है मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पं�ाों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। ऐसे ही बुलंद हौसलों के बल पर प्रदेश की हैलन किलर दमोह जिले की दृष्टिहीन छात्रा सृष्टि तिवारी ने इस मान्यता को सच कर दिखाया है। सृष्टि �ाले ही देख नहीं सकती, लेकिन दुनिया जीतने का जज्बा रखती है। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कला समूह में सृष्टि ने पूरे प्रदेश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला दमोह की छात्रा ने परीक्षा में 500 में से 481 अंक हासिल किए है। पढ़ाई और संगीत सुनने में रुचि रखने वाली सृष्टि ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में भी दृष्टि बाधित संवर्ग में प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल किया था। प्रदेश की इस प्रति�ाा के प्रदर्शन से प्र�ाावित होकर प्रदेश के मु�यमंत्री


शिवराज सिंह चौहान ने �ाी सृष्टि को 2 ला�ा रुपए देने की घोषणा की थी। तब जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया और स्कूली शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस ने हाल ही में सृष्टि के घर जाकर उसे 2 ला�ा रुपए का चेक प्रदान करते हुए उसे उसकी इस सफलता पर बधाई दी। प्रदेश की इस युवा प्रति�ाा ने अपनी सफलता और �ाविष्य के सपनों को  रोजगार और निर्माण से साझा किया। माध्यमिक शिक्षा मंडल की हायर सेकेंडरी की परीक्षा में आर्ट संकाय में प्रथम आने पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं
धन्यवाद
सिर्फ ज्ञान अर्जित करने के लिए करती हूं पढ़ाई
सृष्टि कहती हैं कि मैं अच्छे नंबर से पास होना चाहती थी और उसके लिए पूरी मेहनत भी की थी लेकिन यह नहीं सोचा था कि पूरे संकाय में प्रदेश में सबसे ज्यादा अंक लाऊंगी। सृष्टि कहती है कि में सिर्फ और सिर्फ ज्ञान अर्जित करने के लिए पढ़ाई करती हूं कुछ पाने के लिए नहीं, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि आप कुछ पाने के लिए कुछ करते हो तो सिर्फ एक दायरे में सिमट कर रह जाते हो।
यह सफलता सिर्फ मेरी नहीं
रोजाना 5 घंटे पढ़ाई करने वाली सृष्टि कहती है किजब स्कूल में शिक्षक बोर्ड पर कुछ लिखाकर पढ़ा रहे हों तब मैं पढ़ नहीं सकती हूं और न ही खुद देखकर पढ़ाई कर सकती हूूं। मेरी मेहनत और लगन के साथ ही मेरे नाना-नानी की मेहनत और लगन �ाी इस सफलता की नींव का पत्थर है। अपने ननिहाल


में रहकर पढ़ाई कर रही सृष्टि बताती हैं कि मामा सुधीर व संजय नोट्स बनाते थे और इन नोट्स को पढ़कर नाना-नानी सुनाते थे। वे कहते हैं कि सृष्टि की खूबी है कि वह एक बार जिस बात को सुन लेती है उसे कभी भूलती नहीं है। यही कारण है कि उसे जो भी अध्याय सुनाया गया, उसे वह याद रहा और परीक्षा में उसी के मुताबिक नतीजा आया है। शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा के दौरान उसकी कॉपी लिखने के लिए सहायक उपलब्ध कराया गया था। सृष्टि कहती है कि उसके जैसे हर जरूरतमंद को इसी तरह का प्यार मिले तो वह भी बेहतर नतीजे दे सकता है। सृष्टि की मां सुनीता तिवारी गृहिणी और पिता सुनील तिवारी सरकारी कर्मचारी है।
आईएएस बनकर करना चाहती हूं मदद
जन्म के साथ ही सिर्फ 5 प्रतिशत विजन के माध्यम से दे�ाने वाली सृष्टि ग्रेजुएशन के साथ ही सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती हैं। सृष्टि कहती है कि मुझे तो परिवार का पूरा सहयोग मिला लेकिन मेरे जैसे अन्य बच्चों की मैं मदद करना चाहती हूं और उसके लिए सिस्टम का पार्ट बनना चाहती हूं। सृष्टि दृष्टिवाधित आईएएस कृष्ण गोपाल तिवारी को अपना आदर्श मानती हैं। सृष्टि कहती हैं कि श्री तिवारी ने विषम परिस्थितियों में रहकर किस तरह से अपने लक्ष्य को हासिल किया यह मैंने 9वीं क्लास में एक बार पढ़ा था तभी से तय कर लिया था कि मुझे भी आईएएस ऑफिसर बनना है।




  कोई भी परफेक्ट नहीं होता
 फिल्म डोर के गाने ये हौंसला कैसे रूके और
इकबाल फिल्म के गीत आशाएं आशाएं से प्रेरित होने वाली सृष्टि तिवारी अपनी तरह के उन बच्चों से कहती हैं जो निराश हो जाते हैं कि,  दुनिया में कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता और ईश्वर किसी से कुछ छीनता है तो बदले में उसे कुछ खास भी बनाता है। इसलिए जो नहीं है उसके लिए दु�ाी न हों बल्कि जो आपके पास है उसके द्वारा अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करें।
कुछ �ाी नामुमकिन नहीं
सृष्टि युवाओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि मुश्किलें स�ाी के जीवन में हैं, उनसे घबराए बिना अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करें। सफलता अवश्य मिलेगी। वैसे �ाी हेलर किलर ने कहा है   Optimism is the faith that leads to achievement. Nothing can be done without hope and confidence.
अर्थात आशा से ही जीवन में सब कुछ है। आशा और विश्वास पर ही हर सफलता निश्चित होती है। 

प्रस्तुृति सर्जना चतुर्वेदी

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