SARJANA CHATURVEDI

SARJANA CHATURVEDI
SARJANA CHATURVEDI

Tuesday 27 May 2014

लगन से पायी तृप्ति ने सफलता


हायर सेकेंडरी परीक्षा में सतना की तृप्ति अव्वल
हर दर्द के पीछे छिपी होती हैं खुशियां

जिंदगी में यदि दर्द मिला है तो दवा भी मिलेगी... लेकिन ए इंसा तू कभी हारना मत... इन लाइनों में छिपी है प्रदेश की बिटिया तृप्ति त्रिपाठी की लिखी सफलता की इबारत। कहते हैं कि यदि हमारे साथ कुछ बुरा हो तो हमें उसके पीछे छिपी अच्छाई को देखने की कोशिश करनी चाहिए और बिना थके सिर्फ अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करना चाहिए। इस बात को मूल मंत्र मानकर प्रदेश के टॉप टेन में जगह बनाने का सपना पलकों पर संजोकर चलने वाली तृप्ति ने माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षा में  पूरे प्रदेश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। सरस्वती शिशु मंदिर सतना की छात्रा तृप्ति ने 500 में से 488 अंक लाकर ९७.6 फीसदी अंक के साथ  सफलता प्राप्त की है। तृप्ति ने इससे पहले 10वीं की बोर्ड परीक्षा में भी ९३ फीसदी अंकों के साथ परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी। प्रदेश की इस युवा प्रतिभा ने अपनी सफलता और भविष्य के सपनों को रोजगार और निर्माण से साझा किया।
माध्यमिक शिक्षा मंडल की हायर सेकेंडरी की परीक्षा में आर्ट संकाय में प्रथम आने पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं
धन्यवाद।
यह तो तय था टॉप टेन में रहूंगी
यदि कोई ख्वाव देखो तो उसे पूरा करने के लिए तय रणनीति के साथ काम करना होता है। तृप्ति ने भी यही किया। तृप्ति ने बताया कि 11वीं की परीक्षा का परिणाम आने के बाद मैंने यह तय कर लिया था, कि मुझे प्रदेश की प्रावीण्य सूची में अपनी जगह बनानी है। उस दिन से ही मैंने अपनी पढ़ाई पर फोकस कर लिया था। तृप्ति कहती हैं कि घटों में पढ़ाई करने के बजाय टॉपिक के आधार पर योजना बनाकर अपनी पढ़ाई की। इस दौरान मुझे मेरे स्कूल के शिक्षकों का भी पूरा सहयोग मिला, जैसे कि यदि मैँ फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स को घर में ज्यादा देर पढऩे के कारण हिंदी अंग्रेजी को पूरा समय नहीं  दे पाती थी, तो मेरे टीचर्स ने मुझे किसी भी सेक्शन में जाकर क्लास अटैंड करने की परमीशन दे रखी थी, जिससे में आसानी से सुविधा अनुसार पढ़ाई कर सकती थी।
अपनों के साथ के बिना नहीं हो सकता था मुमकिन
तृप्ति कहती हैं कि प्रदेश में अव्वल आने के पीछे मेरी मेहनत के साथ-साथ मेरे परिवार, दोस्तों और स्कूल के टीचर्स का भी पूरा सहयोग मुझे मिला। भले ही मेरे माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्य पढ़ाई में मेरी मदद नहीं कर सकते थे, लेकिन आर्थिक अभाव के बावजूद मुझे कोई कमी  महसूस नहीं होने दी और हर कदम पर मेरा मोरल सपोर्ट किया। तृप्ति कहती हैं कि अक्सर परिवार और समाज के लोग यह कहते हैं कि लड़की बड़ी हो गई है खाना बनाना सिखाओ घर के काम सिखाओ और यह बातें मैंने भी सुनी लेकिन मेरे परिवार के साथ के कारण ही इन बातों को इग्नोर करते हुए मैंने अपनी पढ़ाई की। तृप्ति कहती हैं कि पढ़ाई के कारण घर का कोई काम नहीं करती थी क्योंकि मुझे पूरा सहयोग अपने परिवार का मिला।

आलोचना को चुनौती के रूप में लिया
हमेशाा सबकुछ अच्छा होता रहे यह संभव नहीं होता लेकिन बुराई के पीछे भी कुछ अच्छाई छिपी होती है। तृप्ति बताती है कि मेरी कोचिंग घर से काफी दूर थी, इसलिए पैदल आने-जाने के कारण थकान की वजह से फिजिकल पैन बना रहता था। साथ ही ब्लड की कमी की वजह से कमजोर रहती थी, जिससे अक्सर लोग यह कहा करते थे कि तुम तो साल भर बीमार रहती हो पढ़ाई कैसे करोगी। तृप्ति कहती है कि शायद यह तकलीफ और आलोचना नहीं मिलती तो मैं भी कुछ खास नहीं कर पाती। इन बातों ने ही मुझे मेरे लक्ष्य के प्रति और दृढ़ बनाया, इसलिए मुझे लगता है कि जो भी होता है
अच्छे के लिए होता है।

सिविल सर्विस ही है मेरी मंजिल
तृप्ति ने अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया कि मैं शुरू से ही सिविल सर्विस में जाना चाहती हूं क्योंकि यह एक ऐसी सर्विस है, जिसमें आप सीधे तौर पर लोगों की बेहतरी के लिए काम कर सकते हो। इसलिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई बिट्स पिलानी से पूरी करने के बाद सिविल सर्विस में जाने की इच्छा रखती हैं। प्रदेश की यह हौनहार बिटिया आर्थिक अभाव के चलते प्रदेश सरकार से भी यथासंभव सहयोग की अपेक्षा रखती है।
ईश्वर लेता है परीक्षा
निजी ट्रांसपोर्ट फर्म में काम करने वाले तृप्ति के पिता योगेन्द्र त्रिपाठी समेत तृप्ति का पूरा परिवार अपनी बेटी की इस सफलता से काफी खुश है। तृप्ति कहती है कि कई बार जब निराशा होती थी, या कुछ अच्छा नहीं लगता था तो अपनों से बातें साझा करती थी, जिससे मुझे संबल मिलता था। तृप्ति कहती है कि घर में अक्सर लोग कहा करते थे कि ईश्वर तुमहारी परीक्षा ले रहा है और तुमहें उसमें पास होना है।
टॉपर टिप्स
तृप्ति कहती है कि मैंने आन्सर शीट में हर सवाल का जवाब हैडिंग बनाकर फिर उसे विस्तार से लिखने का प्रयास किया। हिंदी और इंग्लिश के पेपर में अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए प्रसिद्ध कोटेशन का प्रयोग किया। तृप्ति कहती हैं कि किताबी भाषा लिखने के बजाय हर उत्तर को हमें अपने शब्दों में लिखना चाहिए। तृप्ति ने बताया कि स्कूल के दिनों में उन्होंने 6 से 7 घंटे पढ़ाई की और स्कूल की छुट््िटयां शुरू होते ही यह 15 से सोलह घंटे तक की।
पेपर लेट नहीं होता तो शायद इतना रिवीजन नहीं होता
12वीं का पेपर लीक होने की वजह से डिले होने के कारण तृप्ति कहती है कि पहले तो काफी गुस्सा आया था लेकिन इसका भी एक फायदा यह हुआ कि मैं ज्यादा बेहतर ढंग से रिवीजन कर सकी।
मुश्किलों से ना घबराएं
तृप्ति युवाओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि कभी भी मुश्किलों के सामने हार नहीं आना चाहिए
और अपनी तरफ से हर काम को पूरी ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ किया जाए तो हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है।
प्रस्तुृति सर्जना चतुर्वेदी

No comments:

Post a Comment