SARJANA CHATURVEDI

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Sunday 25 August 2013

सर्जना मन का घरौंदा है
इसे बना लो
सर्जना रचना का संसार है
इसे बसा लो
सर्जना भावों का ज्‍वार है
इसे उमडने दो
सर्जना मन की टीस है
इसे निकलने दो
सर्जना व्‍यथा और पीडा की अभिव्‍यक्‍ति है
इसे बहने दो
सर्जना परिवर्तन्‍ा का आह्वान है
इसे होने दो
सर्जना क्रांति का शंखनाद है
इसे बजने दो
सर्जना विरूदावली है
सर्जना कोमलकांत पदावली है
सर्जना मानवता का आराधन है
सर्जना जोडने का एक साधन है
सर्जना मूल्‍यों का संचार है
सर्जना गुणों का आधार है
सर्जना एक सुंदर सा सपना है
सर्जना एक संसार नितांत अपना है
सर्जना शाम की सुरीली तान

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